नटी की पूजा नटी की पूजा

नटी की पूज‪ा‬

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नटी की पूजा कवि गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित नाटक है। इस नाटक का आधार बौद्ध धर्म के प्रारंभिक द्वन्द्व है। आधार की पुष्टि के लिये ऐतिहासिकता का सहारा लिया गया है। बिम्बिसार के पुत्र अजातशत्रु द्वारा बौद्ध धर्म स्वीकार करने फिर त्याग देने और फिर स्वीकार करने के बीच की घटना को नाटक में महत्व दिया गया है। इस पूरी घटना के बीच राज नटी श्रीमती की आहुति ही नाटक का प्राण है। अत: शीर्षक का आधार भी यही (नटी की पूजा) है। बौद्ध धर्म की शुरूआत सनातन धर्म की प्रतिक्रिया स्वरूप हुई थी। लेकिन प्रतिक्रिया के द्वन्द्व में जो शांति का मूल आधार था, जिसकी प्रतिष्ठा बुद्ध ने की थी वह उनके निर्वाण के बाद जाता रहा। जिस सामाजिक न्याय और शांति के लिये बुद्ध ने यह अनुष्ठान शुरू किया था, उसमें कई शाखाएं निकलने लगी। फिर जो बुराइयाँ सनातन धर्म में थीं कमोबेश वही बौद्ध धर्म में भी आने लगी। जो छुआ-छुत, ऊँच-नीच सनातन धर्म में मौजूद था, वही बौद्ध धर्म में आने लगा। साधना, तपस्या और निष्ठा की कोई जाति नहीं होती, वह अपने साध्य के प्रति समर्पित होती है। नटी की साधना, नटी की पूजा भी भगवान बुद्ध के प्रति है और वह अपनी पूजा अपनी आहुति से प्रदान करती है। लेखक ने पूरे नाटक में सिर्फ स्त्री पात्रों को ही उपस्थित किया है, पुरुष पात्र सिर्फ सांकेतिक है। धर्म-शास्त्र, राज्य-राजनीति, और न्याय-नीति की सारी चर्चाएँ स्त्री पात्रों द्वारा ही हुई है। धार्मिक चेतना की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण नाटक है।

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2016
December 13
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
52
Pages
PUBLISHER
Public Domain
SELLER
Public Domain
SIZE
719.5
KB

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