मानसरोवर
भाग ६
Publisher Description
मानसरोवर भाग-६ प्रेमचंद की कहानियों का संग्रह है। इस संग्रह के तहत ऐतिहासिक कहानियों की संख्या ज्यादा है। प्रेमचंद आदर्श से यथार्थ की यात्रा तय करते हैं अपनी लेखनी में, इसी यथार्थ यात्रा की देन है ‘राजा हरदौल’ ‘रानी सारंधा’ ‘राज्य भक्त’ और ‘मर्यादा की वेदी’ जैसी कहानियाँ। जहाँ घटना अटल है साहित्य की जुबानी। इतिहास को साहित्य की निगाह से देखने की अपनी ही दृष्टि होती है। जहाँ अपने गौरव की प्रतिष्ठा तो होती ही है, किसी प्रकार का आग्रह भी नहीं होता। साहित्य के सौन्दर्य कला और शिल्प के साथ इतिहास अपनी पूरी गरिमा में उपस्थित होता है। इस संग्रह में भी प्रेमचंद की कोशिश ऐतिहासिक कथाओं के माध्यम से उसके भीतर के सौन्दर्य को उजागर करना है। कुछ कहानियाँ जैसे ‘यह मेरी मातृभूमि है’ ‘लाग-डाट’ ‘अमावस्या की रात’ भावना की उस जमीन पर उकेरी गई कहानियाँ है जहाँ पहुँच कर दुनियाँ की और हलचल थम जाती है। ‘पछतावा’ ‘अधिकार चिंता’ और ‘दुराशा’ सरीखी कहानियाँ, प्रेमचंद की कहानी कला का वह क्षेत्र है जहाँ मनोविज्ञानिक बारीक की गहन पड़ताल की गई है। भारतीय समाज, गाँव, गाँव की यथार्थपरक तस्वीर अगर देखनी हो तो प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों से बढ़िया माध्यम नहीं मिलेगा। जीवन की हकीकत को आईना दिखाना ही प्रेमचंद के साहित्य का हेतु रहा है। इस संग्रह का प्रतिपाद्य भी यही है।