मानस और भागवत में पक्षी (Hindi Rligious)
Maanas Aur Bhaagvat Mein Panchhi (Hindi Rligious)
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पक्षी शब्द के ‘रामायण’ में दो अर्थ किये गये हैं, उसके एक अर्थ से तो सभी परिचित हैं कि जो आकाश में उड़ने वाला है और जिसके पास दो पक्ष होते हैं, वह पक्षी है, पर ‘रामायण’ में साथ-साथ यह कहा गया कि पक्षी का तात्पर्य है कि जिसके अन्तःकरण में कोई पक्षपात हो। यों कह सकते हैं कि इन महापुरुषों का वर्णन पक्षी के रूप में किया गया है और जब पक्षी का अर्थ पक्षपाती किया गया है तो इसमें एक मधुर संकेत है और वह यह है कि पक्षपात की व्यवहार में बड़ी निन्दा की जाती है, बड़ी आलोचना की जाती है तथा निष्पक्षता की बड़ी प्रशंसा की जाती है, लेकिन वस्तुतः मनुष्य के अन्तःकरण का जो स्वाभाविक निर्माण हुआ है, उसमें निष्पक्षता किसी प्रकार से सम्भव नहीं है। यों कह सकते हैं कि अन्त में व्यक्ति के सारे व्यवहारों में किसी न किसी प्रकार का पक्षपात तो दिखायी ही देता है, चाहे वह सिद्धान्त का पक्षपात हो, चाहे वह भाषा का पक्षपात हो, चाहे विचार का पक्षपात हो। किसी न किसी प्रकार का पक्षपात प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में है, भले ही वह कितना ही निष्पक्ष क्यों न बनना चाहे।