सांख्य-ज्ञान योग: श्रीमद् भगवद्गीता अध्याय दूसरा - सारा कुछ जो श्रीकृष्ण बताना चाहते थे सांख्य-ज्ञान योग: श्रीमद् भगवद्गीता अध्याय दूसरा - सारा कुछ जो श्रीकृष्ण बताना चाहते थे

सांख्य-ज्ञान योग: श्रीमद् भगवद्गीता अध्याय दूसरा - सारा कुछ जो श्रीकृष्ण बताना चाहते थ‪े‬

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एतावान् सांख्ययोगाभ्यां स्वधर्मपरिनिष्ठया ।
जन्मलाभ: पर: पुंसामन्ते नारायणस्मृति: ॥(भागवत पुराण 2.1.6)
जीवन के अंत में नारायण को याद करके व्यक्ति जीवन के उच्चतम लक्ष्य तक पहुंच सकता है, और ऐसा करने के लिए, व्यक्ति को आत्मज्ञान प्राप्त करना चाहिए और परिणामों से संलग्न हुए बिना कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

भागवत पुराण का यह श्लोक भगवद गीता के दूसरे अध्याय को बखूबी से सारांशित करता है। भगवद गीता का दूसरा अध्याय वह सब कुछ बताता है जो कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान अचानक दुःख में व्यथित हुए अर्जुन को श्रीकृष्ण बताना चाहते थे।

अगर हम इस उपदेश को समझ सकें और उसका पालन कर सकें, तो हमें कुछ और करने की ज़रूरत ही नहीं है। हमें शेष भगवद गीता या कोई अन्य शास्त्र भी पढ़ने की आवश्यकता नहीं है।

यह एक अध्याय हमें आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाने के लिए पर्याप्त है। हमें बस इसका पालन करना है, और फिर, मोक्ष या आत्म-साक्षात्कार तो हमारे मुट्ठी में होगा।

लेकिन, ऐसा कहना तो आसान होता है पर करना मुश्किल होता है। न केवल हमारे लिए, बल्कि अर्जुन को भी काफी सारा समझ नहीं आया। इसलिए उन्होंने और प्रश्न पूछे, और इस तरह विवरण और स्पष्टीकरण के सोलह और अध्याय भगवद गीता में जुड़ गए।

इसलिए, भले ही हमें ज्यादा कुछ समझ न आये, फिर भी अपनी आशा खोएं बिना अपनी आध्यात्मिक यात्रा जारी रखनी चाहिए।

GENRE
Religion & Spirituality
RELEASED
2022
May 1
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
175
Pages
PUBLISHER
Rajshree Deshmukh
SELLER
Raghunath Deshmukh
SIZE
18.1
MB

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