संभवामि युगे युगे 2 (Hindi Novel)
Sambhavami Yuge Yuge 2 (Hindi Novel)
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Publisher Description
पांडवों के खांडव क्षेत्र में चले जाने के पश्चात् मुझको धृतराष्ट्र का निमंत्रण मिला। मैं वहां गया तो महाराज के पास दुर्योधन, दुःशासन और कर्ण बैठे हुए थे। मैंने प्रणाम किया तो महाराज धृतराष्ट्र ने बैठने का आदेश दे दिया। मेरे बैठने पर दुर्योधन ने मुझको सम्बोधन करके कहा, ‘‘तात्! हमको ज्ञात हुआ है कि आपकी पाठशाला बंद हो गयी है।’’ ‘‘हां महाराज!’’ ‘‘हमें यह भी पता चला है कि आपने श्रीकान्त और शकुन्तला से कुछ भी नहीं लिया।’’ ‘‘हां महाराज! आपको ठीक ही पता चला है।’’ ‘‘तो निर्वाह कैसे होता है?’’ ‘‘महाराज, एक ब्राह्मण के लिए निर्वाह की कठिनाई कभी नहीं हुई। जब भी किसी वस्तु की आवश्यकता होती है तो श्रीमान् जैसे किसी दयालु के पास जा पहुँचता हूँ और वह एक ब्राह्मण को आवश्यकता में देख उसकी झोली भर देता है।’’