Apni Jamin Apni Jamin

Apni Jamin

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Publisher Description

पलंग के सिरहाने से टेक लगा कर श्रेयांस ने उस दिन की सारी राम कहानी सुनायी। पिताजी की डाँट-फटकार, माँ का पहली बार पिता के पक्ष में हो जाना, बाद में बाप बेटे की हाथा-पाई, देवेन्द्र काका का आकर झगड़ा शांत करना, तब श्रेयांस ने कहा था ‘कभी इस सत्यानाशी घर में कदम नहीं रखूँगा।’ तब पिता जी गरजे, ‘मैं समझ लूँगा तू मेरे लिए मर गया। निकल जा। मैं तेरे नाम से श्राद्ध कर दूँगा।’ तब माँ ने बीच में कहा था, ‘श्रेया तेरा दिमाग खराब हो गया, बेटा। तू अपने बाप पर ही हाथ उठा रहा है। खुद जन्म देने वाले पर ही हाथ उठा रहा है! यह सब किस लिए? उस नाचीज लौंडिया के लिए? सुन। वह कैसी है मैं बताती हूँ। उसकी माँ की कहानी सारे गाँव में जाहिर है। तुम्हारे काका ने ही उसे रख रखा है।’ तभी पिताजी ने कहा था ‘निकल जा हरामजादे। चाहे जहाँ चला जा तुम्हें एक कौड़ी भी नहीं दूँगा। यह सब सम्पत्ति मेरी है।’ श्रेयांस के सिर पर भूत सवार हो गया था, ‘यह तुम्हारी सम्पत्ति है? तुम्हारे बाप की है और बाप के बाप की है। उस पर मेरा हक है। यह बात मत भूल जाना। अगर कोर्ट जाऊँ तो मुझे अपना हिस्सा मिल जाएगा।’ यह तर्क सुन कर पिताजी ने कहा था, ‘कोर्ट जाने का मन है बेटा? तो जा जा। तुझे जन्म देकर पाल पोस कर इतना बड़ा किया। आज मुझी पर हाथ उठाने लगा। मुझे कोर्ट में ला कर खड़ा करेगा? कोर्ट में? तेरा खून कर दूँगा।’ यह कहते हुए कोने में पड़ी, किसी चीज की तलाश कर रहे थे। माँ मैं उन्हें रोकती हुई, कहीं कुछ अनहोनी न हो जाय सोचकर, मारे डर के चीख पड़ी थी। तभी देवेन्द्र काका दौड़े आये। मारने को तैयार खड़े बाप को उन्होंने जोर से पकड़ लिया। यह सब बताने के बाद वह बोला, ‘रेवती अब उस घर से मेरा संबंध खत्म हो गया। कहीं भी चला जाऊँगा। तुम मेरे साथ चलोगी?’

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2011
September 20
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
152
Pages
PUBLISHER
Bhartiya Sahitya Inc.
SELLER
Bhartiya Sahitya Inc.
SIZE
1
MB