Bhootnath (भूतनाथ) Bhootnath (भूतनाथ)

Bhootnath (भूतनाथ‪)‬

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Publisher Description

देवकीनन्दन खत्री के उपन्यासों के पढ़ने के लिए लाखो लोगों ने हिंदी सीखी, तिलस्मी एय्यारी उपन्यासों में महारत हासिल करके, उस समय के आज दैनिक में धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुआ करता था।
चंद्रकांता, चंद्रकांता संतति (6 भाग), भूतनाथ (6 भाग) पाठको को बांधे रखने की क्षमता रखते थे।


अत्यन्त उलझा हुआ घटना क्रम, कहानी के प्रथम पृष्ठ से अंतिम पृष्ठ तक पुस्तक पढ़ने के बाध्य करती है।


देवकीनन्दन खत्री: जन्म: 18 जून, 1861, निधन: 1 अगस्त, 1931, जन्मस्थान: मुजफ्फरपुर (बिहार) ननिहाल में हिंदी और संस्कृत की प्रारंभिक शिक्षा ननिहाल में ही हुई। फारसी से स्वाभाविक लगाव था, पर पिता की अनिच्छावश शुरू में वे नहीं पढ़ सके। इसके बाद 18 वर्ष की अवस्था में, जब गया स्थित टिकारी राज्य से संबद्ध अपने पिता के व्यवसाय में स्वतंत्र रूप से हाथ बंटाने लगे तो फारसी और अंग्रेजी का भी अध्ययन किया। 24 वर्ष की आयु में व्यवसाय संबंधी उलट-फेर के कारण वापस काशी आए और राजा साहब की बदौलत चकिया और नौगढ़ के जंगलों का ठेका पा गए। इससे उन्हें आर्थिक लाभ भी हुआ और वे अनुभव भी मिले जो उनके लेखकीय जीवन में काम आए| वस्तुतः इसी काम ने उनके जीवन की दशा बदली|


सितंबर 1898 में लहरी प्रेस की स्थापना की। 'सुदर्शन' नामक क पत्र भी निकाला। चंद्रकांता और चंद्रकांता संतति (छः भाग) के अतिरिक्त अन्य रचनाएं हैं: नरेंद्र-मोहिनी, कुसुमकुमारी, वीरेंद्र वीर या कटोरा-भर खून, काजर की कोठरी, गुप्त गोदना तथा भूतनाथ (छः भाग).



Millions of people learned Hindi to read Devkinandan Khatri’s novels, having mastered the Tilasmi Aiyari novels, at that time used to be published serially in the daily ‘Aaj’. Chandrakanta, Chandrkanta Santati(6 parts), Bhoothnath(6 parts) had the ability to bind readers. Extremely complicated sequence of events compels reading the book from the first page of the story to the last page

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2021
April 2
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
480
Pages
PUBLISHER
Diamond Pocket Books
SELLER
diamond pocket books pvt ltd
SIZE
1.1
MB