Dhoop Ki Machliayaan Dhoop Ki Machliayaan

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कहानी लिखना एक कला है।

कहानी लिखना एक कला है। हर कहानी-लेखक अपने ढंग से कहानी लिखकर उसमें विशेषता पैदा कर देता है। वह अपनी कल्पना और वर्णन-शक्ति से कहानी के कथानक, पात्र या वातावरण को प्रभावशाली बना देता है। लेखक की भाषा-शैली पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है कि कहानी कितनी अच्छी लिखी गई है।
आकार की दृष्टि से कहानियाँ दोनों तरह की हैं- कुछ कहानियाँ लम्बी होती हैं जबकि अन्य कुछ कहानियाँ छोटी। आधुनिक कहानी मूलतः छोटी होती है, जिसे लघु कथा कहते हैं.....
लघु मतलबः कम, छोटा, संक्षेप में, अल्पकालीन, सारांश है।
कथा मतलबः कहानी, कथा, कथानक, वृतांत, खंड।
पुरानी कहानियों का अंत अधिकतर सुखद होता था, किन्तु आज की कहानियाँ मनुष्य की दुःखान्तक कथा को, उसकी जीवनगत समस्याओं और अन्तहीन संघर्षों को अधिक-से-अधिक प्रकाशित करती हैं।
आज की कहानी बड़ी हो या छोटी वे व्यक्तिवादी है, जो व्यक्ति के 'मनोवैज्ञानिक सत्य' का उद्घाटन करती है।
कहानी-लेखन की परिभाषा और कहानी-लेखन के कई प्रकार हैं।
लघु कथा एक ऐसी विधा है जिसका आकार "लघु" है पर उसमे "कथा" तत्व विद्यमान है। लघुकथा लेखन के लिए माइक्रोस्कोपिक दृष्टि की आवश्यकता पढ़ती है। जैसे मान लीजिये कविता का पूरा दृश्य और अभिव्यक्ति को लघु रूप में लिखना हो तो वो "हाइकु" हो जाता है....हाइकु को तय वर्णों की सीमा रेखा में ही लिखना होता है। परंतु लघुकथा के लिए कोई सीमा तय नहीं, पर लघु शब्द पर ध्यान देते हुए ही कथा-लेखन केन्द्रित रहता है।
शब्दों का सही चयन में कमी रह जाने से अच्छी लघुकथा भी विकलांग हो सकती है। लघुकथा आसान विधा नहीं है। लेखन के समय कथा को लघु रखने के लिए एक लंबी कहानी में कहे जानी वाली बात को शब्दों की स्वतन्त्रता नहीं मिलती। बहुत ज्यादा शब्द लेखन में खर्च नहीं किए जाते.....बिन निर्धारित ही शब्दों की सीमा स्वत ही तय करनी होती है ताकि लघुकथा बन पाये और पूरी कहानी भी लेखक कह पाये। इसीलिए एक लघु कथाकार को बेहद सावधान और सजग रहना होता है। कथानक, उद्देश्य, भाषा, शिल्प, शैली, शीर्षक, अंत और आकार में लघु और कथा-तत्व से सुसज्जित रचना को ही लघुकथा कहा जाता है। कथा में नवीनता भी होनी चाहिए। शीर्षक पढ़ते ही कथा में लिखी कुछ बात तो वही समझ आ जाती है इसीलिए शीर्षक को लघुकथा का प्रवेश द्वार माना गया है। लघुकथा एकांगी रचना होती है। लघुकथा का अंत अच्छा हो तो अंदर की कुछ कमियाँ भी ढक जाती है। लघुकथा लेखन उतना सरल नहीं जितना एक लंबी कहानी लिखना। कोई भी लेखन सीमित दायरे में करना हो तो वहाँ लेखक को अपने ज्ञान का कौशल दिखाना होता है, अन्यथा रचना अपना अस्तित्व को देती है। कथानक हमें अपने आस-पास से ही मिल जाता है और इन्ही सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मैंने लघुकथा लेखन का प्रयास किया और मेरा पहला लघुकथा संग्रह "धूप की मछलियाँ" आपके समक्ष प्रस्तुत है।
डाॅ. अनिता कपूर

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2022
May 2
LANGUAGE
EN
English
LENGTH
51
Pages
PUBLISHER
INDIA NETBOOKS indianetbooks
SELLER
Draft2Digital, LLC
SIZE
154.7
KB

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