आनंदमठ आनंदमठ

आनंदम‪ठ‬

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Publisher Description

बहुत विस्तृत जंगल है। इस जंगल में अधिकांश वृक्ष शाल के हैं, इसके अतिरिक्त और भी अनेक प्रकार के वृक्ष हैं। फुनगी-फुनगी, पत्ती-पत्ती से मिले हुए वृक्षों की अनंत श्रेणी दूर तक चली गई है। घने झुरमुट के कारण आलोक प्रवेश का हरेक रास्ता बंद है। इस तरह पल्लवों का आनंद-समुद्र कोस-दर-कोस सैकड़ों-हजारों कोस में फैला हुआ है। वायु भी झकझोर झोंके से बह रही है। नीचे घना अँधेरा। मध्याह्न के समय भी प्रकाश नहीं आता-भयानक दृश्य! उस जंगल के भीतर मनुष्य प्रवेश तक नहीं कर सकते, केवल पत्तों की मर्मर ध्वनि और पशु-पक्षियों की आवाज के अतिरिक्त वहाँ और कुछ सुनाई नहीं पड़ता।

एक तो अति विस्तृत, अगम्य, अंधकारमय जंगल, उस पर रात्रि का समय! आधी रात का समय है, रात का भयावह अँधेरा छाया हुआ है। जंगल के बाहर भी अँधेरा छाया हुआ है, कुछ दिखाई नहीं देता। जंगल के अंदर कुहासे की तरह भयानक अँधेरा घिरा है।

पशु-पक्षी सब निस्तब्ध हैं। कितने ही लक्ष-लक्ष, कोटि-कोटि पशु-पक्षी, कीट-पतंगे उस जंगल में रहते है, लेकिन कोई चूँ तक नहीं बोलता है। शब्दमयी पृथ्वी की निस्तब्धता का अनुमान किया नहीं जा सकता, लेकिन उस अनंतशून्य जंगल के सूची-भेद्य अंधकार का अनुभव किया जा सकता है। सहसा इस रात के समय की भयानक निस्तब्धता को भेदकर ध्वनि आई, मेरा मनोरथ क्या सिद्ध न होगा!"

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2014
November 16
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
150
Pages
PUBLISHER
Prabhat Books
SELLER
Bhartiya Sahitya Inc.
SIZE
2
MB