Man Banjara, Man Jogiya (मन बंजारा, मन जोगिया) Man Banjara, Man Jogiya (मन बंजारा, मन जोगिया)

Man Banjara, Man Jogiya (मन बंजारा, मन जोगिया‪)‬

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Publisher Description

अपने उद्घोषित संकल्पों के प्रति समर्पित कुमुद की छोटी-छोटी कविताएं, जहाँ एक ओर चिंतन के धरातल पर प्रौढ़ता का आभास देती हैं वहीं उनका संवेदनशील मन अनायास ही अपने मानव-सुलभ एहसासों में डूबने लगता है।

- डॉ. चन्द्र त्रिखा


'मन जोगिया' पढ़ने से झनझनाहट - सी हुई, बार-बार पृष्ठों को इधर-से-उधर, उधर - से - इधर कर-करके फिर पढ़ने की तांघ- जैसे किसी अपने-से को पुनः-पुनः देखने, मिलने और मिल-बैठ बतियाने की चाह । चन्द शब्दों में 'मन जोगिया' के अथाह को समेटने की चाह दुःसाहस होगा। इसे पढ़ना ही ज़रूरी है इसे जीने के लिए।


- सुमेधा कटारिया


कुमुद जी के विचारों के संवेदनशील और आध्यात्मिक मन का दर्शन कर पाएँगे। आप अपनी निजी सोच को सामूहिक सोच में परिवर्तित कर सकने में समर्थ हैं। अति संवेदनशीलता ने उन्हें कविताई का हुनर बख्शा है।


- नरेश शांडिल्य

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2024
March 23
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
120
Pages
PUBLISHER
Diamond Pocket Books
SELLER
diamond pocket books pvt ltd
SIZE
219.8
KB