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प्रतिध्वनि
Publisher Description
प्रतिध्वनि जयशंकर प्रसाद के कहानियों का संग्रह है। इसमें छोटी-बड़ी पंद्रह कहानियां हैं। कहानियां किसी एक स्वाद या एक दिशा में गमन नहीं करती, बल्कि इनका स्वाद और प्रस्थान बहुपथगामी है। इस संग्रह की मूल विशेषता है प्रसाद जी की अभियक्ति और सम्प्रेष्ण का तरीका। प्रसाद जी इतिहास-द्रष्टा लेखक थे। उनका इतिहास आग्रह इतना जीवंत और प्रबल है कि कहानी का आधार जो हो, उनका ऐतिहासिक आग्रह अपने लिये स्थान बना ही लेता है। वर्णन इतना मनोहर होता है कि अपनी लाख ऐतिहासिकता के बावजूद कहानियां पाठक को बांधे रखती है। शिल्प, कथ्य और शैली सभी दृष्टि से प्रसाद जी ने गद्य साहित्य परंपरा को निखारा है। प्रतिध्वनि शीर्षक कहानी संग्रह में जिन कहानियों ने स्थान पाया है उसमें ज्यादातर कहानियां समाज के ऐसे हिस्से की कहानियां हैं जो उपेक्षित अथवा अस्पृश्य है। जिनके बारे में साहित्य लिखा जाना तो दूर, उनकी चर्चा करना भी अपराध माना जाता है। प्रसाद जी ने ऐसे वर्ग को अपनी कहानी का आधार बनाया। ऐसे लोगों में अपने सोच का सौन्दर्य भरा। इस तरह उन उपेक्षित लोगों को एक मंच प्रदान कर, समाज के वृहत भाग को उनका परिचय कराया है साथ ही अपनी संवेदना के साथ उनके मानवीय पक्ष को वृहत समूह-समाज के सामने उद्घाटित किया है। मानवीय दृष्टि से प्रतिध्वनि कहानी संग्रह काफी पठनीय है।