Mansarovar - Part 5 with Audio Mansarovar - Part 5 with Audio
Libro 5 - Mansarovar

Mansarovar - Part 5 with Audio

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Descripción editorial

आप इस पुस्तक को पढ़ और सुन सकते हैं।
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मानसरोवर - भाग 5

मंदिर
निमंत्रण
रामलीला
कामना तरु
हिंसा परम धर्म
बहिष्कार
चोरी
लांछन
सती
कजाकी
आसुँओं की होली
अग्नि-समाधि
सुजान भगत
पिसनहारी का कुआँ
सोहाग का शव
आत्म-संगीत
एक्ट्रेस
ईश्वरीय न्याय
ममता
मंत्र
प्रायश्चित
कप्तान साहब
इस्तीफा

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मातृ-प्रेम, तुझे धान्य है ! संसार में और जो कुछ है, मिथ्या है, निस्सार है। मातृ-प्रेम ही सत्य है, अक्षय है, अनश्वर है। तीन दिन से सुखिया के मुँह में न अन्न का एक दाना गया था, न पानी की एक बूँद। सामने पुआल पर माता का नन्हा-सा लाल पड़ा कराह रहा था। आज तीन दिन से उसने आँखें न खोली थीं। कभी उसे गोद में उठा लेती, कभी पुआल पर सुला देती। हँसते-खेलते बालक को अचानक क्या हो गया, यह कोई नहीं बताता। ऐसी दशा में माता को भूख और प्यास कहाँ ? एक बार पानी का एक घूँट मुँह में लिया था; पर कंठ के नीचे न ले जा सकी। इस दुखिया की विपत्ति का वारपार न था। साल भर के भीतर दो बालक गंगा जी की गोद में सौंप चुकी थी। पतिदेव पहले ही सिधार चुके थे। अब उस अभागिनी के जीवन का आधार, अवलम्ब, जो कुछ था, यही बालक था। हाय ! क्या ईश्वर इसे भी इसकी गोद से छीन लेना चाहते हैं ? यह कल्पना करते ही माता की आँखों से झर-झर आँसू बहने लगते थे। इस बालक को वह क्षण भर के लिए भी अकेला न छोड़ती थी। उसे साथ लेकर घास छीलने जाती। घास बेचने बाजार जाती तो बालक गोद में होता। उसके लिए उसने नन्ही-सी खुरपी और नन्ही-सी खाँची बनवा दी थी। जियावन माता के साथ घास छीलता और गर्व से कहता, ‘अम्माँ, हमें भी बड़ी-सी खुरपी बनवा दो, हम बहुत-सी घास छीलेंगे,तुम द्वारे माची पर बैठी रहना, अम्माँ,मैं घास बेच लाऊंगा। ‘मां पूछती- ‘मेरे लिए क्या-क्या लाओगे, बेटा ? ‘ जियावन लाल-लाल साड़ियों का वादा करता। अपने लिए बहुत-सा गुड़ लाना चाहता था। वे ही भोली-भोली बातें इस समय याद आ-आकर माता के हृदय को शूल के समान बेध रही थीं। जो बालक को देखता, यही कहता कि किसी की डीठ है; पर किसकी डीठ है ? इस विधवा का भी संसार में कोई वैरी है ? अगर उसका नाम मालूम हो जाता, तो सुखिया जाकर उसके चरणों पर गिर पड़ती और बालक को उसकी गोद में रख देती। क्या उसका हृदय दया से न पिघल जाता ? पर नाम कोई नहीं बताता। हाय ! किससे पूछे, क्या करे ?

GÉNERO
Ficción y literatura
PUBLICADO
2016
19 de diciembre
IDIOMA
HI
Hindi
EXTENSIÓN
295
Páginas
EDITORIAL
Sai ePublications
VENDEDOR
PublishDrive Inc.
TAMAÑO
222.6
MB
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