Gurjar Vansh Ka Gauravshali Itihaas - (गुर्जर वंश का गौरवशाली इतिहास)
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- £3.49
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Publisher Description
भारतवर्ष के गौरव की अनोखी झांकी का एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है - ‘गुर्जर वंश का गौरवशाली इतिहास’। पुस्तक हर देशभक्त को झकझोरती है और यह स्पष्ट करती है कि भारतवर्ष का पराक्रम और पौरुष पराभव, उस काल में सदैव जीवन्त बना रहा जिसे लोग हमारी पराधीनता का काल कहते हैं। लेखक ने । सफलतापूर्वक यह सिद्ध किया है कि अरब के आक्रमणकारियों के आक्रमणों के साथ ही भारतवर्ष में स्वतन्त्रता आन्दोलन आरम्भ हो गया था। लेखक डॉ. राकेश कुमार आर्य हिंदी दैनिक ‘उगता भारत’ के मुख्य सम्पादक हैं। 17 जुलाई, 1967 को उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर,जनपद के महावड़ ग्राम में जन्मे लेखक के 54वें जन्मदिवस पर यह उनकी 54वीं ही पुस्तक है। श्री आर्य की पुस्तकों पर उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार व राजस्थान के राज्यपाल रहे कल्याण सिंह जी सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों, संस्थाओं, संगठनों और देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों/शैक्षणिक संस्थानों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। प्रस्तुत पुस्तक को आद्योपान्त पढ़ने से ज्ञात होता है कि भारत में हूण व कुषाण जैसे शासकों को अनर्गल ही विदेशी सिद्ध करने का प्रयास किया गया है। इसके अतिरिक्त यूनानियों के कथित देवता हिरैक्लीज और नाना देवी के ‘सच’ को भी पुस्तक सही ढंग से प्रस्तुत करती है। पुस्तक में लेखक ने यह भी स्पष्ट किया है कि कथित रेशम मार्ग’ से चीन का कोई सम्बन्ध न होकर भारत का सम्बन्ध है। प्रतिहार वंश के शासकों के बारे में लेखक ने सफलतापूर्वक यह सिद्ध किया है कि वे भारतीय संस्कृति के रक्षक थे और उन्हें उस काल के भारतीय स्वाधीनता संग्राम का महान सेनानी माना जाना ही उनके साथ न्याय करना होगा। क्योंकि उनकी सोच और उनके चिंतन में केवल और केवल भारतीयता ही रची-बसी थी। श्री आर्य ने पुस्तक के माध्यम से यह तथ्य भी स्पष्ट किया है कि भारत में ‘शुद्धि अभियान’ या ‘घर वापसी’ का महत्त्वपूर्ण कार्य भारतीय राजनीति और समाज में कोई नवीन चिंतन या विचार नहीं है, बल्कि यह तो मोहम्मद बिन कासिम के आक्रमण डायमंड बुक्स के कुछ समय पश्चात से अर्थात नागभट्ट प्रथम और उनके पश्चात नागभट्ट द्वितीय व मिहिर भोज जैसे शासकों के शासनकाल से ही चला आ रहा एक ऐसा महान चिंतन है, जिसने इस देश की संस्कृति की रक्षा में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है।.