नागफनी का देश (Hindi Novel)
Nagfani Ka Desh (Hindi Novel)
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- € 3,49
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रात के ग्यारह बजे हैं। एक निहायत टूटी-फूटी, पुरानी, बदरंग मोटर घड़र-घड़र करती हुई आती है और चौदह नंबर डिक रोड पर रुकती है। बँगला सो रहा है। मरघट का सियापा छाया हुआ है। मोटर सात-आठ बार पों-पों करती है मगर उसी आवाज़ शून्य में खो जाती है। बँगले के अन्दर का सन्नाटा नहीं टूटता। फाटक नहीं खुलता। तब एक लम्बा-तड़ंगा, दुहरे बदन का, गंदुमी रंग का आदमी चिंगुड़ा-मिंगुड़ा फ़लालैन का पतलून और ट्वीड का कोट पहने, ढीली-ढीली टाई लगाये, गले में स्टेथस्कोप और हाथ में एक बैग लटकाये मोटर में से उतरा है और फाटक पर खड़े होकर कन्हई-कन्हई की आवाज़ लगाता है। आवाज़ थकी हुई है। दस-बारह आवाज़ों के बाद कन्हई आँखें मलता और जम्हाई लेता हुआ आता है और फाटक खोलता है। यह आदमी कन्हई से कुछ भी नहीं कहता। वह ख़ामोशी से अपने हाथ का बैग उसको पकड़ा देता है और दुबारा मोटर में जाकर बैठता है और मोटर अंदर लाकर कम्पाउन्ड में खड़ी कर देता है और अपने कमरे में चला जाता है।