विद्रोह (Hindi Stories) विद्रोह (Hindi Stories)

विद्रोह (Hindi Stories‪)‬

Vidroh (Hindi Stories)

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विद्रोह अमृत राय की 9 कहानियों का संग्रह है, इसमें मातमपुर्सी, फटी बनियान, भेड़िये, अतिथि, आतंक, कदम्ब के फूल, किस्मत, एक झोंका ताजी हवा का, विद्रोह कहानियाँ हैं।..... मेरी कनपटी के बाल पक चुके हैं लेकिन, झूठ क्यों कहूँ, इस चंपिया को देखकर आज भी मेरी तन-बदन एक बार झनझना जाता है, कि जैसे बिजली के नंगे तार पर हाथ पड़ गया हो। मुझे अक्सर ये सवाल तंग करता है कि इस छोकरी में आखिर क्या बात है ऐसी जो चलते को भी जैसे पकड़ लेती है और वो ठिठककर खड़ा देखता रह जाता है। मैंने अपने फाटक पर खड़े-खड़े तीन-चार बार अपनी आँखों से न देखा होता तो मेरा ध्यान भी न जाता इस तरफ़। पता नहीं ऐसा क्या जादू है चंपा की इस साँवली देह में- हाँ, उसका रंग साँवला है, खुला हुआ साँवला, हल्का सा एक हरापन लिये हुए, चंपई तो बिलकुल नहीं, भले माँ-बाप ने प्यार के मारे चंपा नाम दे दिया हो। चेहरे-मोहरे से ऐसा कुछ ख़ास सुंदर नहीं है वो। हाँ, काठी बहुत अच्छी है। खूब ही कसा हुआ छहहरा बदन है, और सीने का उभार तो ऐसा कि जवानी जैसे फट पड़ी हो उस पर। और ये उसी का नशा है जो गुलाबी डोरे बनकर उसकी आँखों में उतर आया है, और पारा बनकर उसकी रगों में। थिर तो बैठ ही नहीं सकती कमबख्त। चलेगी तो झूमती हुई सी जैसे हँड़िया भर दारूँ चढ़ा रखी हो, और खड़ी होगी तो सीनातान कर कि जैसे ललकार रही हो, आओ दम हो तो अखाड़े में उतरो मेरे साथ- और जब ढोलक ठनकायेगी, गाना गायेगी तो ऐसी लहरकर, ऐसी गूँजती हुई आवाज़ में कि घंटियाँ सी बजने लगें हवा में सब तरफ़…

GENRE
Fictie en literatuur
UITGEGEVEN
2012
31 maart
TAAL
HI
Hindi
LENGTE
76
Pagina's
UITGEVER
Bhartiya Sahitya Inc.
GROOTTE
514,9
kB

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