एक घूँट एक घूँट

एक घूँ‪ट‬

Utgivarens beskrivning

एक घूँट जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित नाटक है। प्रसाद जी हिन्दी में छायावाद के प्रतिनिधि साहित्यिकार थे। साहित्य में अपनी ऐतिहासिक दृष्टि के लिये प्रसाद जी का विशेष महत्व है। अपनी ऐतिहासिकता की वजह से प्रसाद जी ने साभ्यतिक और सांस्कृतिक पड़ताल बहुत गहरे ढंग से की है। इस नाटक में सभ्यता के साथ दार्शनिक चर्चा को एक स्वरूप दिया गया है। भारतीय परम्परा में जीवन के हेतु पर गंभीर चर्चाएँ होती रही है। प्रसाद जी मानते हैं कि ‘जीवन का लक्ष्य सौन्दर्य है।’ विश्व में सौन्दर्य कामना का मूल रहस्य आनंद ही है। अत: जीवन को आनंदपूर्ण बनाने का उद्योग ही जीवन का हेतु हो सकता है। आनंद कहाँ है? इसके जवाब में प्रसाद जी बौद्ध दर्शन के सार, ‘दुःखवाद’ की चर्चा करते हैं। प्रसाद जी के अनुसार जिसने इस ‘दुःखवाद’ के मर्म को समझ लिया, वह जीवन में आनंद के करीब पहुँच गया। हृदय और मस्तिष्क का द्वन्द्व कई बार जीवन के आनंद में गतिरोध पैदा करते हैं। इस गतिरोध के लिये भी दुःखवाद को जानना अनिवार्य हो जाता है। कई बार इंसान दुःख की गहराई और सुख के स्तहिपन को नहीं समझ पाता और सुख के बदले दुःख मोल लेता है। अत: इनके बीच संतुलन भी जरूरी है। एक घूँट नाटक के माध्यम से लेखक ने जीवन के इन्हीं महीन और गंभीर सवालों को सुलझाने का प्रयत्न किया है।

GENRE
Skönlitteratur
UTGIVEN
2016
13 december
SPRÅK
HI
Hindi
LÄNGD
27
Sidor
UTGIVARE
Public Domain
STORLEK
604,1
KB

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