फुलवाड़ी
Publisher Description
फुलवाड़ी रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित स्त्री मनोविज्ञान और स्त्री–पुरुष द्वंद्व पर आधारित कथा है। पति-पत्नी के परस्पर प्रेम और गृहस्त जीवन में संतान की उत्पत्ति या उपस्थिति एक प्रकृतिगत प्रक्रिया है। कई बार, बल्कि ज्यादातर बार संतान की अनुपस्थिति पति –पत्नी के बीच के प्रेम, उत्साह और उल्लास को शुष्क कर देते हैं। दोनों जीवन के एकालाप में चले जाते हैं। ऐसे में अगर पुरुष के जीवन में किसी दूसरी स्त्री का प्रवेश होता है, भले ही वह स्त्री बहन हो, माँ हो, भाभी हो, वह उस स्त्री (पत्नी) के लिये असह्य हो जाता है। इसी स्त्री मनोविज्ञान को आधार बना कर लेखक ने फुलवाड़ी की रचना की है। सरला और आदित्य अपने गृहस्त जीवन से प्रसन्न है। एक दशक बीत जाने पर भी जब संतान उत्पन्न नहीं होती तो सरला को घोर निराशा घेर लेती है और वह शारीरिक रूप से विकलांग हो जाती है। धीरे धीरे वह कुंठित होने लगती है, फिर उसे भाई-बहन का प्रेम भी संदेहपूर्ण लगने लगता है। वह बार बार अपने शक, इर्ष्या को छोड़ने का निश्चय करती है, प्रार्थना करती है। लेकिन छोड़ नहीं पाती। और अपने अधिकार के मोह के साथ शरीर त्याग करती है। वस्तुतः फुलवाड़ी के माध्यम से लेखक ने मनुष्य के सांसारिक स्वभाव को व्यक्त किया है, जो सुनने-पढ़ने में अटपटा भले ही लगे पर यह अपने ढंग की सच्चाई है।