संभवामि युगे युगे 1 (Hindi Novel)
Sambhavami Yuge Yuge 1 (Hindi Novel)
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Publisher Description
मैं तो महाभारत के दूसरे भाग को पढ़ने के लिए उत्सुक था, अतः उसी रात वह पुलिन्दा निकाल पढ़ने लगा। उसमें लिखा था– मैंने इस कथा के पूर्वांश में लिखा था कि पांडु-पुत्रों को धृतराष्ट्र के पुत्रों के समान मान और स्थान मिल जाने पर, मैं निश्चिन्त हो गया था। मैंने समझा कि कुरुवंशियों का विनाश, जिसका इन्द्र ने संकेत किया था, अब नहीं होगा। अतः मैं अपना जीवन सुखमय ढंग से व्यतीत करने लगा। उर्मिला मेरे पास रहती थी। मेरे सब बच्चे, मोदमंती का पुत्र नीलाक्ष, नीललोचना के तीनों बच्चे और उर्मिला का पुत्र श्रीकांत, जो वह देवलोक से लायी थी और उसकी मुझसे लड़की लोमा, सब उर्मिला की देख-रेख में मेरे पास ही रहते थे। राज्य में मेरा कार्य केवल धृतराष्ट्र की दरबारदारी करना रह गया था। वे मुझसे देश-देशान्तर के वृत्तान्त सुना करते थे। कभी मैं किसी देश के विषय में कहता कि मैंने वह नहीं देखा, तो वहां मेरे भ्रमण का प्रबन्ध कर दिया जाता। मैं उस देश में जाता। वहां के लोगों के रहन-सहन, सुख-दुःख और रीति-रिवाज तथा वहां के दर्शनीय स्थान देखकर आता और फिर वहां की बात अति रोचक भाषा में उनको सुनाता।