Chakaiya Neem
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Publisher Description
रवीन्द्र कालिया की कहानियाँ आत्म संघर्ष की गवाह हैं। यदि इनमें सकारात्मक तत्त्व न होता तो ये यथार्थ के प्रति बार बार आग्रह करते दिखाई न पड़ते जैसा कि आज प्रायः दिखलाई पड़ता है; और यदि इनमें सब कुछ ही सकारात्मक होता तो इन्हें इस आत्म संघर्ष की आवश्यकता ही नहीं होती। अगर इनमें कुछ भी न होता तो जनवादी कथाकारों में से सभी प्रमुख हस्ताक्षर अपनी विभिन्न विशिष्ट सीमाओं को तोड़कर जनवादी धारा के अंग न बने होते और यथार्थवादी पद्धति का वरण करके जनवादी आंदोलन के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर न बने होते।