Nirmala
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Publisher Description
Nirmala - by Munshi Premchand
Nirmala is written by great Hindi writer Munshi Premchand, his life was full of struggles and miseries but he achieved greatness in the literary world through his hard work and will power. His works are based on the prevailing social problems as he also belongs to the same social strata. This novel has beautifully shown the problems related to females like dowry, widow marriage, female as property of male, her exploitation, early marriage etc.
मुंशी प्रेमचन्द, जिसका मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, का जन्म ३१ जुलाई सन् १८८० को बनारस शहर से चार मील दूर समही गाँव में हुआ था। धनपतराय की उम्र जब केवल आठ साल की थी, तो माता के स्वर्गवास हो जाने के बाद से अपने जीवन के अन्त तक लगातार विषम परिस्थितियों का सामना धनपतराय को करना पड़ा। प्रेमचन्द हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार हैं और उनकी अनेक रचनाओं की गणना कालजयी साहित्य के अन्तर्गत की जाती है। ‘गोदान’ तो उनका सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है ही, ‘गबन’, ‘निर्मला’, ‘रंगभूमि’, ‘सेवा सदन’ तथा अनेकों कहानियाँ हिन्दी साहित्य का अमर अंग बन गई हैं। इनके अनुवाद भी भारत की सभी प्रमुख तथा अनेक विदेशी भाषाओं में हुए हैं।
अद्भुत कथाशिल्पी प्रेमचंद की कृति ‘निर्मला’ दहेज प्रथा की पृष्ठभूमि में भारतीय नारी की विवशताओं का चित्रण करने वाला एक सशक्तम उपन्यास है। यह उपन्यास नवम्बर 1925 से नवम्बर 1926 तक धारावाहिक के रूप में प्रकाशित हुआ था किन्तु यह इतना यथार्थवादी है कि 60 वर्षों के उपरांत भी समाज की कलुषिताओं का आज भी उतना ही सटीक एवं मार्मिक चित्र प्रस्तुत करता है। ‘निर्मला’ एक ऐसी अबला की कहानी है जिसने अपने भावी जीवन के सपनों को अल्हड़ कल्पनाओं में संजोया किन्तु दुर्भाग्य से उन्हें साकार नहीं होने दिया।