एक मंगलयान कविताओं का
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Publisher Description
मानव मन एक अंतरिक्ष की तरह है, असीमित, अनंत, रहस्यमयी और रोमांचकारी किंतु एक व्यवस्था से, एक असीम सत्ता से संचालित I कविताओं का यह संग्रह उस यान की तरह है जो उस अनंत विस्तार में कदम रखने का साहस करता है I मुझको सुन कर ये बोल गया , पंछी उड़ कर ये बोल गया तुम आसमान में भी रखना कुछ इंतज़ाम कविताओं का ……… मंगल पर जाना हो मुझको, कविता राकेट बन जाती है बस कुछ शब्दों के ईंधन से, कई घंटे यान चलाती है