बुलबुले तसव्वुर के बुलबुले तसव्वुर के

बुलबुले तसव्वुर क‪े‬

ग़ज़लें और नज़्में

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Publisher Description

लेखक की क़रीब सौ ग़ज़लों/नज़्मों  की हर ग़ज़ल/ नज़्म जैसे  तसव्वुर (कल्पना) के समुन्दर में उठने वाला एक बुलबुला है जिसकी पहचान इश्क़, विद्रोह, जंग, वेदना, आक्रोश, ख़ुदा, दिल और कायनात यानी वो  कुछ भी हो सकती है जिससे हम ज़िन्दगी में रुबरु होते हैं I  दौर-ए-मर्ज़ चल रहा है अभी दुनिया में बा वजह आप तो दो गज के फ़ासले से मिले   और कितने दिनों तक कोहनियाँ मिलाएँगे मुद्दत हो गयीं हैं आप से गले से मिले                  *** तस्वीर-ए-कायनात का रखना था एक नाम मैंने रखा ख़ुदा का ए’जाज-ए-तसव्वुर   मैं वालिद-ए-सदहा हूँ, करता हूँ परवरिश मेरी ग़ज़ल हैं मेरी औलाद-ए-तसव्वुर

GENRE
Fiction & Literature
RELEASED
2021
September 7
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
158
Pages
PUBLISHER
Notion Press
SELLER
Notion Press Media Private Limited
SIZE
1.9
MB
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