मिसरा मिसरा गजल आशिकाना हुई
कविताएँ सिर्फ़ इश्क़ पर
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Publisher Description
कविताओं के इस संकलन में विभिन्न तरह के भाव व्यक्त किए गए हैं, इश्क़ यानी प्रेम को दर्शाते हुएl सिर्फ़ महबूब और महबूबा की नहीं है ये कोई मिल्कियत; ख़ुदा और बन्दे के बीच जो रिश्ता है वो भी इश्क़ हैl इन कविताओं में इश्क़ को पूरी तरह उतारने की कोशिश हैI पढ़ने में अच्छी लगेंगी; उनको जिन्हें इश्क़ हो चुका है और उन्हें भी जिन्हें इश्क़ होना बाक़ी हैI सूफ़ियाना ख़्यालों का शायर था मैं, मिसरा मिसरा ग़ज़ल आशिक़ी हो गई l इश्क़ पानी में तेरे हैं क्या खूबियाँ, चार दिन में हरी ज़िंदगी हो गई l