चंद्रकांता संतति चंद्रकांता संतति
Book 24 - चंद्रकांता

चंद्रकांता संतत‪ि‬

भाग २४

Publisher Description

चंद्रकांता संतति भाग २४ देवकीनंदन खत्री का लोकप्रिय उपन्यास है। यह भाग संतति का अंतिम हिस्सा है। पिछले दो-तीन भागों से कहानी यात्रा का दर्पण साफ होने लगा था। इस भाग में घटनाएँ तो विशेष नहीं, बस कैदियों को उनके अपराध के अनुसार सजा सुनाकर, एक खुशहाल एवं वैभवपूर्ण राज्य की प्रतिष्ठा करते हैं। इसके साथ ही लेखक खुद वक्ता शैली में संतति के लिखे जाने और पढ़े जाने पर बात-चीत करते हैं। खड़ी बोली हिन्दी के प्रारंभिक दौर में, जब समस्यापूर्ति के लिये भी साहित्य तैयार किया जा रहा था। ऐसे में मौलिक रचना को लोकप्रिय बनाना कम महत्व की बात नहीं थी। देवकी बाबू ने संस्कृत निष्ठ हिन्दी और उर्दू निष्ठ हिन्दी के बीच से हिन्दी का एक नया स्वरूप गढ़ा, जो आगे के हिन्दी लेखकों के लिये नजीर साबित हुआ। इसके साथ ही यह पुस्तक दोनों कौम के लिये सामान्य रूप से ग्राह्य हुई। भाषा के स्वरूप पर इस भाग में लेखक का लम्बा सा वक्तव्य है। चूँकि यह संतति किश्तों में लिखी गई थीं अत: अब तक इसकी लोकप्रियता काफी हो चुकी थी और देवनागरी लिपि सीखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, इसलिये संतति के इस अंतिम भाग में लेखक ने, इसी ढंग का उपन्यास क्यों लिखा, इसका खुलाशा किया है। साथ ही तिलिस्म को विज्ञान और तर्क का आधार बताया है।

GENRE
Mysteries & Thrillers
RELEASED
2016
December 13
LANGUAGE
HI
Hindi
LENGTH
98
Pages
PUBLISHER
Public Domain
SELLER
Public Domain
SIZE
837.1
KB

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