चंद्रकांता संतति
भाग १६
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चंद्रकांता संतति भाग १६ देवकीनंदन खत्री का लोकप्रिय उपन्यास है। अब तक के भागों को पढ़ने से पता चलता है कि समस्याओं में कोई ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। बल्कि वे लगातार बढ़ ही रहीं है। एक के बाद दूसरी समस्याओं का पैदा होना पाठकीय धैर्य की भी पड़ताल करता है। लेकिन वर्णन की रोचकता पाठकीय धैर्य को चुकने नहीं देती और पाठक दुगुने जोश से आगे बढ़ते हैं। मनोरमा अपने उद्योग में सफल होती है और मौका देखकर किशोरी, कामिनी और कमला की हत्या कर देती है, लेकिन भैरोसिंह के हाथों पकड़ी जाती है। यहाँ फिर कृष्णा जिन्न के परामर्श से तेजसिंह तीनों लड़कियों को पहले ही एक सुरक्षित स्थान पर पहुँच चुके हैं। इसलिये मनोरमा द्वारा हत्या किसी और की होती है। कई जगह लेखक ने नाटकीयता का भरपूर सहयोग लिया है कहानी को आगे बढ़ाने के लिये। इसी भाग के अंत में कृष्णा जिन्न का पर्दाफाश होता है। चूँकि कृष्णा जिन्न राजा गोपालसिंह ही है। जो पीछे रूप बदलकर कई कारनामें कर चुके हैं। एकबार सारी कन्याओं के साथ और लक्ष्मी देवी के सामने कृष्णा जिन्न राजा गोपालसिंह के रूप में प्रकट होते हैं। उधर माधवी जो दुश्मनों का खेमा बिखर जाने से अलग-थलग पड़ गई थी फिर अपने पूर्व सेनापति कुबेरसिंह के सहयोग से अपनी शक्ति इकट्ठा करती है। यही उसका सहयोग देने के लिये शिवदत्त का बेटा भीम भी मिल जाता है। चूँकि अपने पिता की मौत से वह बौखलाया हुआ है। माधवी और भीम रिश्ते से भाई-बहन भी है। वे मिलकर आगे की रणनीति तैयार करते हैं कि कहानी अगले भाग में प्रवेश करती है।